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|रचनाकार=उमेश बहादुरपुरी
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|संग्रह=संगम / उमेश बहादुरपुरी
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चेहरा मइया के जग से निराला हे।हेदुनियाँ काला हे काला हे काला हे।।हेधरती आसमान ई मइया से।सेसाँझ आउ बिहान ई मइया से।सेचहूँओर मइया से उजाला हे।। हेई...चाँद सितरा ई मइया से।सेबहार नजारा ई मइया से।सेचहूँओर मइया के बोलबाला हे।। हेई....   
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