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02:07, 18 मार्च 2019 {{KKGlobal}}
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|संग्रह=बोली बानी / जगदीश पीयूष
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<poem>
कुर्ता खादी का चौचक
ताकैं गाँधी जी भौचक
होइगे घरे घरे नेतवे दलाल माई जी
करैं धीरे धीरे हमका हलाल माई जी
चाटैं राजनीति कै चाट
रोजै बदलैं धोबी घाट
धक्का मुक्की होइगा देसवा धमाल माई जी
करैं धीरे धीरे हमका माई जी
चारिव ओरी मारामारी
जेका देखा ठेकेदारी
होइगे मन्त्री जी कै पूत मालामाल माई जी
करैं धीरे धीरे हमका हलाल माई जी
अफसर होइगे बेइमान
नौकर चाकर भरे गुमान
वोटवा होइगा हमरी जान क बवाल माई जी
करैं धीरे धीरे हमका हलाल माई जी
</poem>