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|रचनाकार=राज़िक़ अंसारी
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<poem>सब मेरे हम सफ़र कहानी में
हो गये दर ब दर कहानी में

बीच में इक लकीर नफ़रत की
हम इधर तुम उधर कहानी में

ख़ूब कैंची चलाई है तुम ने
मेरे किरदार पर कहानी में

कीजिए मत हमें नज़र अंदाज़
हम हैं मौजूद हर कहानी में

मीर ज़ाफर बदल बदल के लिबास
हो गये मौअतबर कहानी में

मत समझ लेना बे ज़बान हमें
हम हैं ख़ामोश गर कहानी में
</poem>