Changes

'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=गोपाल कृष्ण शर्मा 'मृदुल' |अनुवाद...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=गोपाल कृष्ण शर्मा 'मृदुल'
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
{{KKCatGhazal}}
<poem>
खुश रहने की आदत है।
कहते लोग हिमाकत है।।

ज़िद की जो सच कहने की,
समझो आयी शामत है।।

नजर झुका कर कत्ल करे,
ये भी अजब शराफ़त है।।

गाँधी जी के चेलों से,
बस्ती भर में दहशत है।।

उसको कैसी आजादी?
झेल रहा जो ग़्ाुर्बत है।।

जिन्दा उसकी रहमत से?
यह रहमत तो आफ़त है।।
</poem>
Mover, Protect, Reupload, Uploader
6,612
edits