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पुलिंदे झूठ के हैं ये इन्हें अख़बार मत कह। खौफ अब आतंक का जड़ से मिटाना चाहिए. कलम ग़र बिक चुकी है तो उसे तलवार मत कह। नीड से भटके खगों को, फिर बसाना चाहिए.
निभाया जा रहा है फ़ोन इंटर्नेट हादसे हों नित नये, पैमाइशों पर जो। धर्म की। मशीनी दौर के इस फ़र्ज़ खेल ऐसा अब न बच्चो को व्यवहार मत कह। सिखाना चाहिए.
जिसे टी आर पी तगड़ी मिले चलती ख़बर वह। अनुसरण तो बुद्ध के, उपदेश का यूँ ठीक है। किसी सूत्र पर चाणक्य के भी मीडिया हाउस को ज़िम्मेदार मत कह। , आजमाना चाहिए.
उठाते बोझ तेरी परवरिश का उम्र भर जो। साधुता से दुर्जनों को, जीतना है नीतिगत। कमसकम शर्म कर माँ बाप किन्तु फल जैसे को तो भार मत कह। ' तैसा भी चखाना चाहिए.
रहीमो राम या फिरराजनैतिक हों भले, नाम का गुरु मीत हो वह। मतभेद दल गत लाख पर। जो' असमत का लुटेरा हो उसे सरदार मत कह। राष्ट्र मुद्दों पर सभी को, साथ आना चाहिए.
चढ़ावा मत चढ़ा मंदिर किसी दरगाह युद्ध जब स्वजनों के' सँग हो और पैदा मोह हो। ध्यान गीता सार पर तू। ज़रूरतमंद को लेकिन कभी इंकार मत कह।  पुराना पेड़ है ग़र फल, नहीं तो छांव देगा। बुजुर्गों की तरह कर कद्र, यूं बेकार मत कह। हमको लगाना चाहिए.
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