रोता है संगीत को सुनकर।
खत्म हुई सहवास की इच्छा,
ग्रेफाइटिस दो यही है शिक्षा। होम्यो कविता: जेल्सिमियमसुस्ती, चक्कर, औंघाई को जहाँ भी देखो भाई, जेल्सिमियम को याद रखो तो होगी बड़ी भलाई. वदन पर हाथ लगाते ही चिढ़ जाए, मंदिर-मस्जिद जाने से घबराए, साहसहीन किसी रोगी मेँ कंपन पड़े दिखाई, जेल्सिमियम को याद रखो तो होगी बड़ी भलाई. पास बैठना बातें करना उसको नहीं सुहाए, जाने को हो कहीँ अगर तो पाखाना लग जाए. बिना किसी कारण के बच्ची-चौंक चिपक चिल्लाई, जेल्सिमियम को याद रखो तो होगी बड़ी भलाई. न हिलने डुलने से धड़कन रुकने का डर हो, रोग में वृद्धि समाचार सुनने से अगर हो, सिर दर्द से पहले अगर अँधेरा पड़े दिखाई, जेल्सिमियम को याद रखो तो होगी बड़ी भलाई. पलकों में भारीपन आँखें खुल नहीं पाती, बैप्टी. कैक्टस इपिकाक है इसका साथी, बिना प्यास चुप्पी बुखार निगलन मेँ हो कठिनाई, जेल्सिमियम को याद रखो तो होगी बड़ी भलाई. बिना स्वप्न के स्वप्नदोष ध्वजभंग बताए, देरों होता दर्द जरायु खुल नहीं पाए, काफी। चायना डिजीटेलिस करे सफाई, जेल्सिमियम को याद रखो तो होगी बड़ी भलाई.
</poem>