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<poem>
जो तुम्हारे लिए नहीं लिखा गया,
उसमें भी उपस्थित हो
और अदृश्य की तरह
मौज़ूद हो तुम
हर तरफ़
दूरी में बहुत दूर जैसे
जिंदगी में न की बिंदी
इश्क़ का आधा श
और इंतज़ार में आ की मात्रा
</poem>
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