Changes

चार-चर्मकार / कुमार मुकुल

531 bytes added, 09:21, 8 अगस्त 2019
'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= कुमार मुकुल |संग्रह=​सभ्‍यता और...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार= कुमार मुकुल
|संग्रह=​सभ्‍यता और जीवन​
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
जन चार
भार (मृत मवेशी) लिए कंधों पर जा रहे
हिम्‍मत सबकी
हो रही तार-तार

मृत्‍यु का बोझ
हो रहा भार है
त्‍याग दें भार तो
जीना दुश्‍वार है।
</poem>
765
edits