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इतिहास / कुमार मुकुल

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|रचनाकार= कुमार मुकुल
|संग्रह=​सभ्‍यता और जीवन​
}}
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<poem>
नंगे होते हो
तो ढंपते हो
इतिहास के पृष्‍ठों में

कि इतिहास नंगा है

मार-काट लूट-पाट
नया नहीं

इतिहास में ही
सारा फसाद-दंगा है।
</poem>
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