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फूल खिले हैं तितली नाचे आओ इन पर गीत लिखें हम भूख, गरीबी ग़रीबी या शोषण से कविता-रानी को क्या लेना महानगर की चौड़ी सड़कें इन पर बन्दर-नाच दिखाएँ अपनी उत्सव-संध्याओं में भाड़ा दे कर भाँड बुलाएँ?
हम हैंमहानगर की चौड़ी सड़केइन पर बन्दर-नाच दिखाएँअपनी उत्सव-सन्ध्याओं में भाड़ा दे कर भाण्ड बुलाएँहम हैं संस्कृति के रखवाले इसे रखेंगे शो-केसों में मूढ़-गँवारों की चीख़ों से शाश्वत वाणी को क्या लेना?
लिए लुकाठी रहा घूमता गली-गली सिर-फिरा कबीरा दो कोड़ी की साख नहीं थी कैसे उसको मिला मिलता हीरा  लखटकिया-- छन्दों का स्वागत राजसभा के द्वार करेंगे निपट निराले तेरे स्वर से इस ’रजधानी‘ ‘रजधानी’ को क्या लेना। लेना ?
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