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तुम्हें अर्पण करें / रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’
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,
04:17, 4 जनवरी 2020
जाए भी कहाँ
न कोई सगा
सब देते हैं
दगा
टूट गया भरोसा।
दगा।
-0-
<poem>
वीरबाला
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