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17:19, 12 मई 2020 {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=भारतेंदु मिश्र
|अनुवादक=
|संग्रह=
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<poem>
वील चेयर से
बास्केट बाल खेलते हुए
बच्चे खिलखिला रहे हैं
दूसरे बच्चे से छीनकर
मोहन गोल पोस्ट में
बाल डालने में सफल हुआ
अब वह खेल रहा है पूरे मन से
उसे अपनी दिव्यांगता को गढ़ा है
क्षमता के व्याकरण से
वो खुश होकर नाच रहा है
लट्टू सा अपनी वील चेयर पर
उसकी खुशी को
मानो आसमान में
कोई परिंदा बाँच रहा है।
</poem>