719 bytes added,
08:36, 10 जून 2020 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार= सुधा गुप्ता
}}
<poem>
मेघों की अलकों में
शम्पा के फूल
लहर-लहर लहराए
धानी दुकूल
कहाँ चली सज -धजके
बोलो तो !
अँबुवा की डाली पर
पड़ गए झूले
बैरागी भँवरे भी
जोग-रोग भूले
पायल बजी गीतों की
गली -गली
कोयल फिर-फिर
मचली
कहाँ चली उछल , चपल !
बोलो तो !
मन की गाँठ खोलो तो
बोलो तो !
</ poem>