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11:32, 15 जून 2020 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार= इरशाद अज़ीज़
|अनुवादक=
|संग्रह= मन रो सरणाटो / इरशाद अज़ीज़
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<poem>
वाह, थारी मुळक
जे थूं अेकर फेरूं मुळक देवै
तो म्हैं संसार रा सगळा
माणक-मोती
थारै ऊपर वार दूं
मुळक!
अेकर तो मुळक
जीसा कैयो हो कै
बरसां पैलां
थारो मुळकणो
सूखतै खेतां नै हर्या
अर दम तोड़तै मिनखां-डांगरां नैं
जीवण रो वरदान दियो हो
देख टाबरां री टोळी
बीं री आंख्यां मांय
थारा ईज सुपना है
इणां रा खिलता उणियारा
कठैई कुमळाय नीं जावै!
</poem>
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