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11:45, 15 जून 2020 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार= इरशाद अज़ीज़
|अनुवादक=
|संग्रह= मन रो सरणाटो / इरशाद अज़ीज़
}}
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<poem>
टिम-टिम करता
अणगिणत तारां बिचाळै
पळका मारतो
औ चांद
ठाह नीं किणनैं सोधै है
ई आभै रै जंगळ मांय
भोर हुयां
सूरज जाळ पसारै
रैण-बसेरो छोड
जिनावर-पाखी
भाजता फिरै
चांद, रात हुवण री उडीक में अर
सूरज मुळकै।
</poem>
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