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{{KKRachna
|रचनाकार= इरशाद अज़ीज़
|अनुवादक=
|संग्रह= मन रो सरणाटो / इरशाद अज़ीज़
}}
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<poem>
चीखां मारतो
इन्नै-बिन्नै भाजतो रैवै
दिन-रात
उठै हबीड़ा
खावै घमीड़ा
फेरूं नीं चेतै
काच साम्हीं जावण सूं डरै
माथो कुचरै
पण आपो-आप सूं
बाथेड़ा कुण करै
कुण सुणै
मांयलो हेलो।
</poem>
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