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04:51, 16 जून 2020 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार= इरशाद अज़ीज़
|अनुवादक=
|संग्रह= मन रो सरणाटो / इरशाद अज़ीज़
}}
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{{KKCatRajasthaniRachna}}
<poem>
थम,
अर देख!
माथो उठा‘र
थारो हुवणो
म्हारै हुवणै नैं
हर बगत सोधै है थूं
अर
आपो-आपरै हुवणै सूं अळघो
कांई ठा किणरै हुवणै मांय
जोवै है आपो-आपनैं।
</poem>
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