Last modified on 16 जून 2020, at 10:21

थारो हुवणो / इरशाद अज़ीज़

थम,
अर देख!
माथो उठा‘र
थारो हुवणो

म्हारै हुवणै नैं
हर बगत सोधै है थूं
अर
आपो-आपरै हुवणै सूं अळघो
कांई ठा किणरै हुवणै मांय
जोवै है आपो-आपनैं।