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इस बार मिले हैं ग़म कुछ और तरह से भी / हस्तीमल 'हस्ती'
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09:09, 17 जून 2020
मंज़िल ने दिए ताने, रस्ते भी हँसे लेकिन
चलते रहे
अक़्सर
अक्सर
हम, कुछ और तरह से भी
दामन कहीं फैला तो, महसूस हुआ यारों
Abhishek Amber
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