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दिये तीरगी जब मिटाने लगे/ सर्वत एम जमाल
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07:36, 24 जून 2020
ख़ुदा, जाने कब आजमाने लगे
ग़ज़ल तुमको
पढनी
पढ़नी
थी सर्वत मगर
तुम आज अपना दुखड़ा सुनाने लगे
</poem>
अनिल जनविजय
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