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हमेशा से सुपरिचित गन्ध पाली
उस तरह मैंने तुम्हारा रूप यादों में संभाला।
आज तुमने ज्योत्स्ना बन भर दिया मुझमे मुझमें उजाला।
देह-वन में
झिलमिल दृश्य में तुम ने जगह ली
आज से मैं देहरी हूँ और तुम हो दीपमाला
आज तुमने ज्योत्स्ना बन भर दिया मुझमे मुझमें उजाला।
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