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<poem>
गीत अपने प्यार का मैं गाउँ जिनमे गाऊँ जिनमें झूमकर
वे सभी स्वर और व्यंजन वर्णमाला में नहीं।
भीग जाना जब कभी बरसात में तुम
मान लेना गीत का मुखड़ा गया बन।
बारिशें जैसे उतरती है हैं जमीं तक
प्यार में वैसे उतरता बावला मन।
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