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आश्वासन की छाँव तले अंकुर फूटेगा।
नयी कोपलें उग आएँगी फिर पेड़ों पर
लोगोँ लोगों का विश्वास एक दिन फिर टूटेगा।
चौपट शासन पर खुश ख़ुश होती है अंधी नगरी।
बौने पेड़ों के सब पत्ते चबा गयी बकरी।
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