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तहों में दिल के जहां कोई वारदात हुई
हयाते-ताज़ा से लबरेज़ कायनात हुई
तुम्हीं ने बायसेबाएसे-ग़म <ref>ग़म का कारण</ref>बारहा किया दरयाफ़्त<ref>खोज, जाँच, टोह</ref>
कहा तो रूठ गये यह भी कोई बात हुई
हयात राज़े-सुकूँ पा गयी अजल <ref>मृत्यु, मौत</ref> ठहरी अजल में थोड़ी-सी लर्ज़िशे लर्ज़िश<ref>सिहरन, स्पंदन</ref> हुई हयात हुई
थी एक काविशे-बेनाम<supref>1अनाम जिज्ञासा</supref> दिल में फ़ितरत के सिवा हुई तो वही आदमी की ज़ात <ref>व्यक्तित्व, शख़्सियत, स्वयं,अस्तित्व</ref>हुई
बहुत दिनों में महब्ब़त को यह हुआ मालूम
जो तेरे हिज़्र में गुज़री वो रात रात हुई
फ़ि‍राक 'फ़ि‍राक़' को कभी इतना ख़मोश देखा था जरूर ज़रूर ऐ निगहे-नाज़ कोई बात हुई   1- अनाम जिज्ञासा 
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