Changes

'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रमेश तन्हा |अनुवादक= |संग्रह=तीसर...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=रमेश तन्हा
|अनुवादक=
|संग्रह=तीसरा दरिया / रमेश तन्हा
}}
{{KKCatTraile}}
<poem>
ये कल की फ़िक्र में जीना, ये रोज़ का मरना
ये महज़ नाम का जीना है, ज़िन्दगी न हुई

उलझ के फ़िक्र में फ़र्दा की ज़िन्दगी करना
ये कल की फ़िक्र में जीना, ये रोज़ का मरना
रहे-तलब में क़दम फूंक फूंक कर रखना

ये सर का दर्द हुआ, मन की शांति न हुई

ये कल की फ़िक्र में जीना, ये रोज़ का मरना
ये महज़ नाम का जीना है, ज़िन्दगी न हुई।

</poem>
Mover, Reupload, Uploader
3,988
edits