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{{KKRachna
|रचनाकार=रमेश तन्हा
|अनुवादक=
|संग्रह=तीसरा दरिया / रमेश तन्हा
}}
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<poem>
तेरी शीरीनी-ए-सुख़न की क़सम
बात में है निबात क्या कहिये
तेरे लहजे के बांकपन की क़सम
तेरी शीरीनी-ए-सुख़न की क़सम
मेरी अपनी ग़ज़ल के फ़न की क़सम
वज्द में है हयात क्या कहिये
तेरी शीरीनी-ए-सुख़न की क़सम
बात में है निबात क्या कहिये।
</poem>
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|संग्रह=तीसरा दरिया / रमेश तन्हा
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तेरी शीरीनी-ए-सुख़न की क़सम
बात में है निबात क्या कहिये
तेरे लहजे के बांकपन की क़सम
तेरी शीरीनी-ए-सुख़न की क़सम
मेरी अपनी ग़ज़ल के फ़न की क़सम
वज्द में है हयात क्या कहिये
तेरी शीरीनी-ए-सुख़न की क़सम
बात में है निबात क्या कहिये।
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