तेरी शीरीनी-ए-सुख़न की क़सम
बात में है निबात क्या कहिये
तेरे लहजे के बांकपन की क़सम
तेरी शीरीनी-ए-सुख़न की क़सम
मेरी अपनी ग़ज़ल के फ़न की क़सम
वज्द में है हयात क्या कहिये
तेरी शीरीनी-ए-सुख़न की क़सम
बात में है निबात क्या कहिये।
तेरी शीरीनी-ए-सुख़न की क़सम
बात में है निबात क्या कहिये
तेरे लहजे के बांकपन की क़सम
तेरी शीरीनी-ए-सुख़न की क़सम
मेरी अपनी ग़ज़ल के फ़न की क़सम
वज्द में है हयात क्या कहिये
तेरी शीरीनी-ए-सुख़न की क़सम
बात में है निबात क्या कहिये।