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05:15, 24 अगस्त 2020 {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=विक्रम शर्मा
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|संग्रह=
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<poem>
उम्र भर माली ने लगाए फूल
तोड़िये मत बिना बताए फूल
पहले उन रास्तों से गुज़रे आप
और फिर रास्तों पे आए फूल
इश्क़ का ये उसूल कैसा है
फूल की खातिर आप लाए फूल
आपने फूल को नही देखा
आपको देखकर लजाए फूल
मैंने काँटो से दोस्ती कर ली
इसलिए मेरे साथ आए फूल
हिज्र ने नम की आँख की मिट्टी
वस्ल ने आँख में उगाए फूल
</poem>