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05:08, 7 सितम्बर 2020 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=रमेश तन्हा
|अनुवादक=
|संग्रह=तीसरा दरिया / रमेश तन्हा
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<poem>
अदना सी शिकस्त ने सताया मुझको
लेकिन तभी वक़्त ने जगाया मुझको
लो डूबता हूँ सुबहे-द्रखशां के लिए
सूरज ने तपाक से बताया मुझको।
</poem>