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|रचनाकार=रमेश तन्हा
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|संग्रह=तीसरा दरिया / रमेश तन्हा
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<poem>
अदना सी शिकस्त ने सताया मुझको
लेकिन तभी वक़्त ने जगाया मुझको
लो डूबता हूँ सुबहे-द्रखशां के लिए
सूरज ने तपाक से बताया मुझको।
</poem>
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