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{{KKRachna
|रचनाकार=रमेश तन्हा
|अनुवादक=
|संग्रह=तीसरा दरिया / रमेश तन्हा
}}
{{KKCatRubaayi}}
<poem>
फूलों पे तबस्सुम नहीं रहता हर दम
क्यों उन पर हो दस्ते-गुलचीं का सितम
मजबूरी बागबां की कोई भी हो ख्वाह
होने न दे निज़ामे-गुलशन बरहम।
</poem>
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|संग्रह=तीसरा दरिया / रमेश तन्हा
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फूलों पे तबस्सुम नहीं रहता हर दम
क्यों उन पर हो दस्ते-गुलचीं का सितम
मजबूरी बागबां की कोई भी हो ख्वाह
होने न दे निज़ामे-गुलशन बरहम।
</poem>