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05:54, 7 सितम्बर 2020 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=रमेश तन्हा
|अनुवादक=
|संग्रह=तीसरा दरिया / रमेश तन्हा
}}
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<poem>
इक सिलसिलहे-ग़लत-बयानी हूँ मैं
अपनी ही शिकस्त की कहानी हूँ मैं
कैसे करूँ सामना मैं आईने का
अपने ही किये पे पानी पानी हूँ मैं।
</poem>