इक सिलसिलहे-ग़लत-बयानी हूँ मैं
अपनी ही शिकस्त की कहानी हूँ मैं
कैसे करूँ सामना मैं आईने का
अपने ही किये पे पानी पानी हूँ मैं।
इक सिलसिलहे-ग़लत-बयानी हूँ मैं
अपनी ही शिकस्त की कहानी हूँ मैं
कैसे करूँ सामना मैं आईने का
अपने ही किये पे पानी पानी हूँ मैं।