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इक सिलसिलहे-ग़लत-बयानी हूँ मैं / रमेश तन्हा

 
इक सिलसिलहे-ग़लत-बयानी हूँ मैं
अपनी ही शिकस्त की कहानी हूँ मैं
कैसे करूँ सामना मैं आईने का
अपने ही किये पे पानी पानी हूँ मैं।