भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

गंगा की लहर / शांति सुमन

No change in size, 15:12, 29 नवम्बर 2020
<poem>
एक साथ
गंगा की लगर लहर फिर गिनें
सीढ़ियों पर बैठ धूपबाती जलाएं
350
edits