भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
अँगालो हालिरहेछु तिमीलाई,
एक्ली छुइनँ म।
...................................................................
'''[[मैं अकेली नहीं हूँ / गब्रिऐला मिस्त्राल / अनिल जनविजय|इस कविता का हिन्दी अनुवाद पढ्ने के लिए यहाँ क्लिक करेँ ।]]'''
</poem>