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खुशबू से जो नाता (माहिया) / रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’
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22:40, 20 मार्च 2021
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यह चन्दन- सी काया
रोम- रोम महका
साँसें भी महकी
जब तुझको
था
पाया।
89
अब तो तुम आ जाओ
दो पल तुमको देखा
घोर घनी रजनी
चमकी
विद्युत
चपला
रेखा।
93
नयनों में दर्द दिखा
वीरबाला
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