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Kavita Kosh से
एक आहट पाँव
चाँदनी में घुल गयी वह
एक क्शण क्षण की छाँव
एक पल की बात गूँगी
कल्पशत आभास।
एक क्शणक्षण
स्पर्श कोमल
बज उठे तन-तन्त्र
एक शब्दातीत विस्मृति
पलक भर संयोग
एक क्शण क्षण का डूबना
सौ जन्म का सुख-भोग
एक