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प्रिय पिता!आपने छोड़ा हैमेरा हाथ मगरआपका हाथ अब भीमेरे सर पे सदा रहता हैज़िंदगी कीघोर अँधेरी राहों मेंएक जुगनूबनकर चमकता हैतपती धूप मेंअकसर मेरे वास्तेठंडी सी छाँव करता हैमुझे जलने नहीं देताइन बादलों से बूँदों संगरिमझिम बरसता हैमैं अकेली हूँमुझे अहसास नहीं होताकोई तनहा सा डरमेरी आँखों सेकभी जार-जार नहीं रोतामुझमें बेखौफ़ जीने काइक जज्बा जो पलता हैप्रिय पिता!ये आपका आशीर्वाद ही हैजो हर वक़्त मेरे साथ चलता है!
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