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{{KKRachna
|रचनाकार=[[चंद्रप्रकाश देवल]]
|अनुवादक=
|संग्रह=उडीक पुरांण / चंद्रप्रकाश देवल
}}
{{KKCatKavita}}
{{KKCatRajasthaniRachna}}
<poem>
आज म्हारै होठां
थनै चितारी अे मुळक!
थूं है के
कोसां अळगी
कांई ठाह किण दिस ढळगी
चालौ-कीं कोनीं
थूं कीकर है?
मन में हींगापाई आ लागी
खांगी व्हैगी व्है तो कीं कोनीं
मगसी पड़गी तो ई कीं कोनीं
पण थूं है तो अजतांई मुळक इज नहीं
रैय-रैय जीव जावै इण कांनी
अबै अै वावोड़ जाणण नै
कळपतौ मन
कांई करै उडीकण टाळ
थूं ई बता!
</poem>
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|रचनाकार=[[चंद्रप्रकाश देवल]]
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|संग्रह=उडीक पुरांण / चंद्रप्रकाश देवल
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<poem>
आज म्हारै होठां
थनै चितारी अे मुळक!
थूं है के
कोसां अळगी
कांई ठाह किण दिस ढळगी
चालौ-कीं कोनीं
थूं कीकर है?
मन में हींगापाई आ लागी
खांगी व्हैगी व्है तो कीं कोनीं
मगसी पड़गी तो ई कीं कोनीं
पण थूं है तो अजतांई मुळक इज नहीं
रैय-रैय जीव जावै इण कांनी
अबै अै वावोड़ जाणण नै
कळपतौ मन
कांई करै उडीकण टाळ
थूं ई बता!
</poem>