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कविता / ईहातीत क्षण / मृदुल कीर्ति
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09:36, 7 अक्टूबर 2022
<poem>
वचन और अंकन की सीमा ,
जहों
जहां
समाप्त होती है.कविता
वाहून
वहां
से आरम्भ होती है,
अभी हम एक दूसरे को,
पारदर्शी नहीं,
Arti Singh
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