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घाटियों में विगत की छोड़ दिए सब अॅंधेरे,तभी आए बरस बादमुस्कान ले सवेरे।नए बरस के दरस के लिए घाटियॉं कसमसाई।चहक उठे पखेरूहर तरु की डाल– डाल पर ;सूरज की बिन्दियाखिल गईधरा –भाल पर।भोर की शिशु–किरनले उजासधरा पर उतर आई़।-0-'''09 दिसम्बर 2006'''
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