भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रुचि बहुगुणा उनियाल |अनुवादक= |सं...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=रुचि बहुगुणा उनियाल
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
तुम आओ तो चप्पलें उतार के
अपने पैरों को पोछ लेना
तुम्हारे जाने के बाद से ही
समय ठहरा हुआ है...
तलुवों से समय की पीठ सहलाना
पायदान पर ही बैठ गया था
उकड़ूं हो कर इंतज़ार में तुम्हारे!</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader, प्रबंधक
35,132
edits