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शहतूत के पेड़ / अश्वघोष

48 bytes removed, 21:40, 16 जुलाई 2023
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कल करेंगेरेशम के कीड़ों की खातिरजो भी करनाआज तो, बस, धूप से बातें करें खड़े पेड़ शहतूत के
एक मुद्द्त बाद तोपल भर की निद्रा के भीतरयह लाजवन्तीकिन आँखों को लेकर झाँकें ।द्वार आई है,पत्ती-पत्ती छिन जाएगीप्यार में डूबे हुएकुछ गुनगुने सम्वादअपने साथ लाई है रह जाएँगी नंगी शाखें
क्या कहेगा कल ज़मानासाक्षी हैं ये मौन दिगम्बरसोचकर हम क्यों डरें माली की करतूत के
क्या कभी चिन्ता तो फिर भी एक क्षणअपनी ख़ुशी सेभोग पाते हैंबच जाती ,रोटियों के लुट जाता जब सब कुछ अपना ।व्याकरण में हीआँखें सपना देखें कैसेसमूचा दिन गँवाते हैं सपना तो होता है सपना
इस नियोजित भूमिका कोकरते नहीं कामना फल कीकल तलक सारांश चेले ये अवधूत के घर में धरें
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