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टूट जाए तो आसमाँ चमके।
है मुहब्बत भी जुगनुँओं जुगनुओं जैसी,जैसे -जैसे हो ये जवाँ, चमके।
क्या वो आया मेरे मुहल्ले में,
जब भी उसका ये ज़िक्र करते हैं,
होंठ चमकें , मेरी जुबाँ चमके।
वो थे लब या के शरारे मौला,
छू गए तन जहाँ -जहाँ, चमके।
ख़्वाब ने दूर से उसे देखा,
रात भर मेरे जिस्मोजाँ जिस्म-ओ-जाँ चमके।
ज्यों ही चर्चा शुरू हुई उसकी,
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