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Kavita Kosh से
भाव जाने कहाँ खो गए।
कौन दे रोज रोज़ तुलसी को जल,
इसलिए कैक्टस बो गए।
सूर्य खोजा किए रात भर,
जो सभी पर हँसे ताउमरउम्र भर,
अंत में खुद पे वो, रो, गए।
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