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हर गाँव में नगर में ईमान बिक रहा है। बिल काटता है राजा हाकिम चुकता करे प्रजा है।
डूबी हुई हैं फसलें गेहूँ अलग सड़ा है, भारत को के जन्मदिन पर ‘सिस्टम’ का ये तोफ़ा की दक्षिणा है।
हल्की सी धूप में भी गलने लगा जो फौरनफ़ौरन,
उसको ही मीडिया क्यूँ सूरज बता रहा है।
ये कौन पंप दौलत ऊपर को खींचता है।
नेता का पुत्र नेता , मंत्री का पुत्र मंत्री,
गणतंत्र गर यही है तो राजतंत्र क्या है।
झूठे झूटे मुहावरों से हमको न अब डराओ,
आँतों को काट देगा पिद्दी का शोरबा है।
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