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साल नया आता जैसे घूँघट में आती नई बहुरिया।
साल पुराना जाता जैसे इक एक दिन घर से जाती बिटिया।
मुनिया खुश ख़ुश है , नए खिलौने पाकर छोटी मेमसाब मालिक की बिटिया ने,दे दी फिर से उसको अपनी इक एक टूटी -फूटी सी गुड़िया।
साल पुराना दे जाएगा खट्टी मीठी यादें जिनसे,
मन खुश ख़ुश होकर या फिर दुख से भेजेगा आँसू की चिठिया।
खुद ख़ुद जाकर जोतूँ बोऊँगा अबके बरस वचन लेता हूँ,अपने बूढ़े खेतों को यूँ और न दूँगा अब मैं अधिया।
नया साल नया कुछ शर्माएगा फिर बन जाएगा आदत ये,धीरे -धीरे ज्यों कॉफ़ी का स्वाद नया जायका चढ़ता चढ़ जाता जिभिया।
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