भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
पढ़ता हूँ कर अँधेरा सौ गीत, सौ ग़ज़ल।
देखा है तुझको तुझ को जबसे मेरे मन के आसपास,
डाले हुए हैं डेरा सौ गीत, सौ ग़ज़ल।
Delete, KKSahayogi, Mover, Protect, Reupload, Uploader
19,393
edits