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21 जुलाई
वो आज मुझको लिए जा रहे हैं मयखाने I
नयी नई सदी में नए हादिसे तो होने हैं
सुना है होश की पीने लगे हैं दीवाने I
ग़ज़ल का फिर से सितारा बुलन्द होना है
खुदा ख़ुदा करे रहें सालिम ग़ज़ल के दीवाने I
चमन ग़ज़ल ने मेरा मुक़द्दर बदल दिया यारोउसी के अश्क न पोंछो वो दर्द फ़ैज़ से पुर हैचमन के हाल पे हंसते अपने हुए हैं आज वीराने Iबेगाने।
उसी चमन के अश्क न पोंछो वो चीख़ उट्ठेगाअब उसके हाल पे हँसने लगे हैं वीराने I ग़ज़ल के नाम पे सजती थी सोज़ की महफ़िलउसी के नाम पे छलका करेंगे पैमाने IIपैमाने॥
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