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{{KKRachna
|रचनाकार=पाब्लो नेरूदा
|अनुवादक=प्रभाती नौटियाल
|संग्रह=
}}
{{KKCatKavita}}
<Poem>
ख़ामोश है ताक़त (पेड़ बताते हैं मुझे)
और गहराई (बताती हैं जड़ें)
और शुद्धता (बताता है आटा)
किसी पेड़ ने नहीं कहा मुझसे
”मैं सबसे ऊँचा हूँ।“
किसी जड़ ने नहीं कहा :
”मैं ही आती हूँ सबसे गहराई से ।“
और कभी नहीं कहा रोटी ने :
”कुछ भी नहीं है रोटी जैसा ।“
'''मूल स्पानी भाषा से अनुवाद : प्रभाती नौटियाल'''
</poem>
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|अनुवादक=प्रभाती नौटियाल
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ख़ामोश है ताक़त (पेड़ बताते हैं मुझे)
और गहराई (बताती हैं जड़ें)
और शुद्धता (बताता है आटा)
किसी पेड़ ने नहीं कहा मुझसे
”मैं सबसे ऊँचा हूँ।“
किसी जड़ ने नहीं कहा :
”मैं ही आती हूँ सबसे गहराई से ।“
और कभी नहीं कहा रोटी ने :
”कुछ भी नहीं है रोटी जैसा ।“
'''मूल स्पानी भाषा से अनुवाद : प्रभाती नौटियाल'''
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