भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
खुलने को खुल गया मगर अच्छा नहीं हुआ
जो राज़, राज़, राज़ रहा सालह इतने साल से
संगीत मेरा हो तो तेरा गीत हो कोई
भारत में है अनाज बहुत अब मेरे 'रक़ीब'
कितने ही लोग मरते थे पहले अकाल से
</poem>